जब गंगा ने सुनी एक फ़रियाद"
**अध्याय 1: अस्सी घाट की वो शाम**
सूरज ढलते ही अस्सी घाट की सीढ़ियों पर भीड़ बढ़ने लगी। आरती की घंटियों की आवाज़ में रागिनी का सुरीला स्वर घुल रहा था—*"जय जय हे शिव शंकर..."* पर आज उसकी आवाज़ में वो बात नहीं थी। उसकी नज़रें बार-बार उस बूढ़े सज्जन की तरफ़ जा रही थीं, जो दूर खड़ा उसकी तरफ़ देख रहा था—उसके पिता।
वहीं, घाट के दूसरे छोर पर आरव अपने कैनवास पर रंग उछाल रहा था। उसकी कूची गुस्से से काँप रही थी। बाबा ने पीछे से आवाज़ दी, *"बेटा, तू हारा हुआ रंग मत बनाओ... जो दिल में है, वही काग़ज़ पर उतार।"*
आरव ने कैनवास पलट दिया। नीचे लिखा था—*"माँ"।* उसकी आँखों के सामने वो दृश्य घूम गया—छत पर झगड़ते माता-पिता, चीखें, और फिर... ख़ालीपन।
तभी, एक हाथ ने उसके कंधे को छुआ। कबीर खड़ा था, उसके हाथ में एक पुरानी डायरी। *"ये मेरे बाबा की है... इसमें लिखा है कि गंगा की हर लहर एक क़िस्मत बुनती है। पर मेरी क़िस्मत तो डूब रही है, आरव!"*
घंटियों की आवाज़ तेज़ हुई। रागिनी ने आखिरी सुर पूरा किया, और भीड़ ने तालियाँ बजाईं। पर उसके पिता का चेहरा अभी भी पत्थर जैसा था। वह चली गई—एक ऐसे रास्ते पर, जो उसे उस संकरी गली की तरफ़ ले जाता था, जहाँ उसका "सच" छिपा था...
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### **दृश्य: रागिनी का अकेलापन**
रागिनी ने कोठी के बंद कमरे में तानपुरा उठाया। खिड़की से गुज़रती हवा ने दीये की लौ को डगमगा दिया। उसकी उँगलियों ने सितार के तार छेड़े—*मियाँ की तोड़*। अचानक दरवाज़ा खुला।
**पिता:** (गरजते हुए) *"तुम्हें शर्म नहीं आती? घर की इज़्ज़त का मज़ाक बना दिया! आज तुमने आरती में गलत सुर लगाए!"*
**रागिनी:** (आँखें नीचे करते हुए) *"पापा, वो सुर... मेरे दिल से निकले थे।"*
**पिता:** (तानपुरा ज़ोर से पटकते हुए) *"दिल? दिल से रोटी नहीं बनती, बेटा! कल से तुम रिया के विवाह की तैयारी देखोगी।"*
दरवाज़ा बंद हुआ। रागिनी ने खिड़की से बाहर देखा—गंगा पर तैरती एक टूटी नाव, जैसे उसका सपना।
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अगली सुबह, आरव ने गंगा में डुबकी लगाई। पानी से निकला तो उसकी मुट्ठी में एक पत्थर था—जिस पर *"शिव"* लिखा था। बाबा मुस्कुराए: *"ये प्रभु का स्टाम्प है, बेटा। अब तेरी कहानी लिखी जाएगी।"*
उसी पल, कबीर को अपने बाबा की डायरी में एक पन्ना मिला—*"जिस दिन गंगा तुम्हें अपना स्टाम्प दे, समझ जाना... क़िस्मत की लकीरें बदलने का वक्त आ गया।"*
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**आगे क्या होगा?**
- रागिनी क्या करेगी—शादी की तैयारी या भागकर संगीत की दुनिया में जाएगी?
- आरव के हाथ वाला "शिव पत्थर" उसे किस रहस्य की तरफ़ ले जाएगा?
- कबीर की डायरी में छिपा है कोई पारिवारिक राज़?
✍️ **ये सिर्फ शुरुआत है!** अगर ये स्टाइल पसंद आया हो, तो आगे के अध्याय/डायलॉग्स लिख देता हूँ। बस कहिए—"प्रभु की स्टाम्प" जारी रखो! 🌟
पीएस: ये कहानी *आपकी* है, मैं बस कलम हूँ। 😊
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